first impression is last impression
वक़्त के पाबंद रहे
वास्तविक बने रहे।
किसी ने सच ही कहा हे , जब भी हम किसी से पहली बार मिलते हे तोह हमारा व्यक्तित्व प्रभावशाली होना चाहिए। ताकि हम उनपर अपने छाप छोड़ सके , वैसे तोह हर कोई इसमें माहिर नहीं होता पर ये एक ऐसे चीज़ हे जो हम कुछ दिनों के अभ्यास से और कुछ नियमो का पालन करके विकसित कर सकते हे।
आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलना नहीं चाहेंगी जिसे समय की कोई चिंता न हो या फिर वो जो वक़्त तय किया गया हे इस समय पर वह उपस्थित न हो , ठीक यही बात आप पर भी लागु होती हे। जरा खुद को किसी और की नज़र से देखने की कोशिस कीजिये। और आप समय के महत्व को जान जाएंगी ,
जब भी हम किसी के दिए समय पर उनसे मिलते हे तो वो ये सूचित आप समय के महत्व को जानते हे और आप के साथ समय बिताना व्यर्थ नहीं होगा। अक्सर लोग देरी से पोहचने के वजहसे हाथ लगा काम गवा देते हे , अगर आप ये नहीं चाहते तो वक़्त के सीखे।
दिए गए समय पर निश्चित जाये , इस से आप का सामने वाले व्यक्ति पर अच्छा प्रभाव बन न शुरू हो जायेगा।
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किसी से मिलने लोग बड़ी बड़ी ढींगे हाकने लगते हे और जब थोड़ा भी संदेह होता हे की हम फसने वाले हे तो वो झूट का सहारा लेने लगते हे और खुद ही खुद का प्रभाव काम कर लेते हे.
कभी भी ऐसा न करे अगर आप को किसी चीज़ के बारे नहीं पता तोह उसके बारे में पूछ ले , कभी भी हम उस व्यक्ति से नहीं मिलना चाहेंगे जो आप को बोलने का मौका ही न दे और बस खुद के बारे में ही बात करता रहे , और अवास्तविक बातो पर चर्चा करे ,
इस से बचने के लिए वास्तविकता पर ज़ोर दे , आप जैसे हे वैसे ही अपने आप को प्रदर्शित करे , अक्सर प्रभावशाली व्यक्ति साधारण और बहुत काम पाने आप के बारे में बोलने वाले होते हे। और इसलिए वो हमेशा ऐसे बातो पर बात करते हे जो सामने वाले व्यक्ति को पसंद हो। जिस से हमे उनके साथ बात करना अच्छा लगता हे।
मुस्कुराये
जब आप मुस्कुराते हे तोह आप अपने साथ साथ आप के सामने वाले व्यक्ति को भी सहजता का अनुभव करते हे। जरा जान लेते हे की वैज्ञानिक दृष्टिसे आप के मुस्कुराने से क्या होता हे , जब आप मुस्कुराते हे तो आप के दिमाग में डोपामिन , एंडोर्फिन और सेरेटोनिन नमक रसायन का स्राव होता हे। ये हमे जितने का एहसास दिलाते हे जिसे आप के ह्रदय की गति और रक्तगति नियमित होने में मदत मिलती हे। इस आप ज्यादा अच्छे से अपनी बात रख पाते हे। कोई भी बात को मुस्कराहट के साथ शुरू होती हे वो ज्यादा देर तक चलती हे और सामने वाला व्यक्ति उसमे ज्यादा रूचि लेता हे जो मुस्कुराते हुए बात करे न की गंभीर रूप से अपने बात रखने वाले व्यक्ति में।
बोलने से ज्यादा सुन ने सुन ने पर जोर दे:
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आप सिर्फ सुन ने से के ऊपर प्रभाव छोड़ सकते हे। जब आप सुनते हे तोह आप उस व्यक्ति को और ज्यादा जान सकते हे , जब सामने वाले व्यक्ति को लगता हे की आप उसकी बातो पर ध्यान दे रहे हे वो ज्यादा बताने की कोशिस में लग जाता हे , हम सब में कुछ न कुछ बाते होती हे जो हम किसी को बताना चाहते हे पर हमे ऐसा कोई नहीं मिलता जो हमारी बाते शांति से सुन ले , ज्यादा तर लोग आप की बाटे समझने के लिए नहीं सुनते वो बस आप की बातो का रिप्लाई देने के लिए आप को सुन ते हे और आप की बात ख़तम होने से पहले ही अपना मत बना लेते हे। इसलिए हम हमेशा उस व्यक्ति के साथ वक़्त बिताना पसंद करते हे जो हमे अच्छी तरह से सुन लेता हे। इसलिए ज्यादा सुने और जरुरी हो तोह ही उनकी बात पर अपना मत प्रदर्शित करे। ऐसे करने से वह व्यक्ति आप से दुबारा मिलना चाहेगा।
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