Wednesday, November 27, 2019

LORD SHREE KRISHNA QUOTES IN HINDI | KRISHNAVANI

Photo by Audi Nissen on Unsplash

आज हम आप से भगवान श्री कृष्ण के कुछ अनमोल वचन साँझा करने जा रहे हे।  जिस से हमे  में आगे बढ़ने के लिए आसानी होगी।

जगत में व्यक्ति को किसि न किसी तरह की निर्बलता अवधश्य होती हे , जैसे कोई बहुत तेज़ी से दौड़ नहीं पता तोह कोई अधिक भर नहीं उठा पाता , कोई असाध्य रूप से पीड़ित रहता हे तो कोई पढ़े हुए पाठों को स्मरण नहीं रख पाता , ऐसे अनेको उदहारण और भी हे।  क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हे ? जिसे  प्राप्त हो ? और हम जीवन उस एक निर्बलता को जीवन का केंद्र मानकर चलता हे।  इस कारन वश ह्रदय में दुःख और असंतोष रहता हे सदा निर्बलता मनुष्य को जन्म से अथवा संयोग से प्राप्त होती हे , किन्तु उस निर्बलता को मनुष्य का बल अपनी मर्यादा बना लेता हे।  किन्तु कुछ कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हे जो अपने पुरुषार्थ और श्रम से उस निर्बलता को पराजित कर देते हे।  क्या भेद हे उन में और अन्य लोगो में ? क्या आप ने कभी विचार  किया हे ?  
सरल सा उत्तर हे इसका - जो व्यक्ति निर्बलता से पराजित नहीं होता , जो पुरुषार्थ करने का साहस रखता हे ह्रदय में , वो निर्बलता को पार कर जाता हे।  अर्थात निर्बलता  अवश्य ईश्वर देता हे। किन्तु मर्यादा , मर्यादा मनुष्य का मन ही निर्मित करता हे।

 स्वयं विचार कीजिये। 

Photo by Jeremy Bishop on Unsplash


जीवन में समय चाहे जैसा भी हो , अपनों का साथ बड़ा आवश्यक होता हे। सुख हो तो बढ़ जाता हे दुःख हो तोह बट जाता है। अपनों के साथ समय कब बीत जाता हे पता ही नहीं चलता , है न ? किन्तु सोचे , यदि आप को किसी ऐसे स्थान पर छोड़ दिया जाये , जहा आप का कोई सम्बन्धी न हो ! आप का कोई अपना न हो ! कोई मित्र न हो ! 
तोह क्या होगा ??? 
एक एक क्षण कितना लम्बा लगने लगेगा   तब तक लगेगा जब तक आप किसी को अपना नहीं बना लेते।  अब प्रश्न ये उठता हे की आप का अपना  कौन  हे ? वो सम्बन्द्धी जीन के साथ आप रक्त से जुड़े हे ?
या वो मित्र जिनके साथ आप बालपन से पीला बढे हे ?
या वो सहकर्मी जिनके साथ आप काम करते हे ??
नहीं!!!
अपना वो जो विपत्ति में काम आये ,अपनों की परख समय की कसौटी पर की जाती हे।  स्मरण रखियेगा !!!


" अपनों के साथ समय का पता नहीं चलता , किन्तु समय के साथ अपनों का पता अवश्य  चलता हे। " 


मनुष्य की एक विशेष प्रवृत्ति होती हे वो कभी भी स्वयं से संतुष्ट नहीं रहता , कभी स्वयं से प्रसन्ना नहीं रहता , जो हे उस से अधिक पाना चाहता हे।  जो पा लिया हे उस से अधिक आगे जाना चाहता हे , अपने जीवन में बदलाव , परिवर्तन लाना चाहता हे। और यही प्रवृत्ति संसारमे सबसे महान हे।  
क्यों की इसी प्रवृत्ति के चलते संसार में विकार होता हे किन्तु इसी बदलाव के लिए मनुष्य उस की खोज में रहता हे जो उसके जीवन में बदलाव ला सके उसे मार्ग दिखा सके और उसके लिए मनुष्य संसार भर में उसे खोजता हे जो उसके पास पहले से ही हे। 

बताइये कौन ?

अगर कोई आप का जीवन बदल सकता हे तोह दर्पण देखिये।  वो आप स्वयं हे जो आप का जीवन बदल सकते हे।  वो आप स्वयं हे जो अपने आप को मार्ग दिखा सकते हे ,जीवन में बदलाव ला सकते हे ,परिवर्तन ला सकते हे।  इसलिए पहचानिये अपने भीतर की शक्ति को और विश्वास कीजिये की इस संसार में आप से अधिक शक्तिशाली और कोई नहीं।  जीवन बदल जायेगा। 
और अंधविश्वास का नहीं आत्मा विश्वास का हाथ थामिए , आप की समस्याए स्वतः दूर हो जाएगी। 



Photo by Sammie Vasquez on Unsplash



जीवन में कुछ कर दिखाना हे।  आकाश की वो सीमा छूनी हे जी विषय में आप सोच भी नहीं सकते , तो अपने भीतर ये तीन गुण अर्जित कर लीजिये। 
पहला - अपने लाक्ष को पाने की चाह , लगन ये आप से वो करवा सकते हे जो आप कभी नहीं कर सकते। 

दूसरा -साहस , संकट उठाने की सक्षमता 
ये आप से वो करवा सकते हे जो आप करना चाहते हे 

तीसरा - अनुभव , अनुभव आप को ये बताता हे की आप को करना क्या चाहिए। 
 तोह जिसमे चाह , सहस और अनुभव इन् तीन गुणों की तिकड़ी पा ली , उन् के लिए इस संसार में ऐसा कुछ भी नहीं जो वो न पा सके। 


हमारे जीवन में शिक्षक बड़ा महत्वपूर्ण हे , शिक्षक जो हमे जीवन जीने की आवश्यक कला सिखाता हे और जाने के पश्चात भी नाम कैसे रह पायेगा ये बताता हे। 
किन्तु कोई यह प्रश्न करे की सबसे बड़ा महत्वपूर्ण शिक्षक कोण हे ?
तो कोई कहेगा, " माँ "क्यों की संसार में माँ से अधिक सिख और कोण दे सकता हे ?  

कोई कहेगा अध्यापक ,क्योकि अध्यापक ही हे जो हमे शास्त्र और शस्त्र की सिखाता हे। 

कोई कहेगा मित्र , किन्तु इन तीनो में एक समानता हे , यह पहले आप को सिखाते हे और फिर आप की परीक्षा लेते हे।  और देखते हे की आप क्या सीखे ?
किन्तु वास्तविकता में सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक वह हे वो इसके बिक्लुल उल्टा  करता हे , 
जो पहले आप की परीक्षा ले और बाद में आप को सिखाये। 
या यह कहे की परीक्षा देते देते आप स्वयंम सिख जाये , वोह शिक्षक हे अनुभव। 

इसलिए अनुभव और अनुभवी को साथ रखेंगी तोह इस जीवन में कभी असफल नहीं होंगे ।  







छोटे से मनुष्य के इस छोटे से मन में बड़ी बड़ी चिंताए पायी जाती हे।  माता पिता की चिंता , पत्नी की चिंता , संतान की चिंता , काम की चिंता भविष्य की चिंता।  इत्यादि। 
मनुष्य का मन चिंताओं का पिटारा हे , किन्तु धीरे धीरे यही चिंता चिता बन जाती हे और एक दिन उस व्यक्ति को समाप्त कर देती हे।  

   चलिए आप को एक बात  स्मरण  करा देते हे , बात जो आप पहले से ही जानते हे।  कैसी विचित्र बात हे न ?
आप इस संसार में आने से पूर्व भी ये संसार था , आप इस संसार से जाएंगे तब भी ये संसार रहेगा। अर्थात आपके आने से पूर्व और आप के जाने के पछात का समय आप के हाथ में नहीं हे , तोह आप के हाथ में हे क्या ?
आप के हाथ में हे वो समय जो आप अभी जी रहे हे , वह समय जहा आप मुझे पढ़ रहे हे , जहा में आप को कुछ ज्ञान की बाते बता रहा हु , बस यही आप के हाथ में हे। 
अब इसका आप क्या करेंगी ?
चिंता करके नष्ट करेंगी ? में तोह यही कहूंगा की आप को चिंतन करना चाहिए , हम इस समय का अधिक से अधिक सदुपयोग कैसे  कर सकते हे।  कैसे हम महान  से महान  काम कर सके , सुबह कर्म कर सके ,कैसे हम सबमे आनंद बाट  सके स्मरण रखिये चिंता चिता तक ले जाती हे और चिंतन मन को कुंदन बना देता हे। 

Photo by Andre Hunter on Unsplash

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